रविवार, 21 अगस्त 2011

अन्ना की मुहीम..... मेरे आईने में

देश भर में अन्ना हजारे की मुहीम का लोग समर्थन कर रहे है. लाखो की तादाद में लोग अन्ना को सपोर्ट करने के लिए रामलीला मैदान पहुच रहे है. इतना ही नहीं हर जगह आज कल देश भक्ति के गीत या देश भक्ति के नारे लगते दिख जाते है. चाहे दिल्ली की मेट्रो हो या फिर गलियाँ और चोराहे. पूरा माहौल देश भक्ति से सराबोर हो चूका है. लेकिन क्या ये ज़रूरी नहीं है के अन्ना को समर्थन देने से पहले हमे अपने अन्दर मौजूद भ्रष्टाचार को ख़त्म करना चाहिए. वो भ्रष्टाचार जो हमारे अंदर मौजूद है. जिसके ज़रिये हम रोजाना अपने हजारो काम निकालते है. क्या ये ज़रूरी नहीं....अन्ना सही है . उनकी मुहीम बेशक सही हो सकती है. लेकिन क्या हमारा तरीका सही है. जब हम खुद ही भ्रष्टाचार में पूरी तरह से लिप्त है तो क्यों अन्ना को सपोर्ट कर रहे है. या यु कहे के हमारा क्या हक है अन्ना को सपोर्ट करने का. पहले खुद को सही करना ज़रूरी नहीं है क्या. अपने दो रूपए के फायदे का लिए एक रूपए की रिश्वत दे देते है. दिन में दस बार लाल बत्ती क्रोस करते है और उस से बचने के लिए पचास या सौ रूपए की रिश्वत देना हमारे लिए बड़ी बात नहीं है. लेकिन हम अन्ना को सपोर्ट करने ज़रूर पहुचते है.अंग्रेजी की एक कहावत है चैरिटी बिगिन्स एट होम. सबने सुनी भी होगी लेकिन क्या इस पर अमल करना ज़रूरी नहीं है. अन्ना की आंधी तो चल पड़ी है. लेकिन हमारे अंदर वो आंधी कब चलेगी.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें