शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

यौमे आजादी

क्या क़ीमत है आज़ादी की हमने कब यह जाना है
खुद की ही चिन्ता है फर्ज़ कहाँ पहचाना है
आज़ादी का अर्थ हो गयाअब केवल घोटाला है
हमने आज़ादी का मतलब भ्रष्टाचार निकाला है
आज़ादी में खा जाते हम पशुओं तक के चारे अब
‘हर्षद’ और ‘हवाला’ हमको आज़ादी से प्यारे अब
आज़ादी के खेल को खेलो फ़िक्सिंग वाले बल्लों से
हार के बदले धन पाओगे‘सटटेबाज़ों’ दल्लों से
आज़ादी में वैमनस्य केपहलु ख़ूब उभारो तुम
आज़ादी इसको कहते हैं?अपनों को ही मारो तुम
आज़ादी का मतलब अब तोद्वेष, घृणा फैलाना है ॥
आज़ादी में काश्मीर की घाटी पूरी घायल है
लेकिन भारत का हर नेता शान्ति-सुलह का कायल है
आज़ादी में लाल चौक पर झण्डे फाड़े जाते हैं
आज़ादी में माँ के तन पर चाक़ू गाड़े जाते है
आज़ादी में आज हमारा राष्ट्र गान शर्मिन्दा है
आज़ादी में माँ को गाली देने वाला ज़ींदा है
आज़ादी मे धवल हिमालय हमने काला कर डाला
आज़ादी मे माँ का आँचल हमने दुख से भर डाला
आज़ादी में कठमुल्लों को शीश झुकाया जाता है
आज़ादी मे देश-द्रोह का पर्व मनाया जाता है
आज़ादी में निज गौरव को कितना और भुलाना है ?
देखो! आज़ादी का मतलब समझो अब हिंदुस्तान हमारा है......